NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 3 आवारा मसीहा are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for आवारा मसीहा are extremely popular among Class 11 Humanities students for Hindi आवारा मसीहा Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of Class 11 Humanities Hindi Chapter 3 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class Class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.
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Question 1:
''उस समय वह सोच भी नहीं सकता था कि मनुष्य को दुख पहुँचाने के अलावा भी साहित्य का कोई उद्देश्य हो सकता है।'' लेखक ने ऐसा क्यों कहा? आपके विचार से साहित्य के कौन-कौन से उद्देश्य हो सकते हैं?
Answer:
• यदि मनुष्य अच्छा साहित्य पढ़ता है, तो मनुष्य का ज्ञान बढ़ाता है। उसकी सोच को नई दिशा मिलती है।
• साहित्य में इतिहास संबंधी बहुत से तथ्य विद्यमान होते हैं। साहित्य के माध्यम से इतिहास की सही जानकारी मिलती है।
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Question 2:
पाठ के आधार पर बताइए कि उस समय के और वर्तमान समय के पढ़ने-पढ़ाने के तौर-तरीकों में क्या अंतर और समानताएँ हैं? आप पढ़ने-पढ़ाने के कौन से तौर-तरीकों के पक्ष में हैं और क्यों?
Answer:
(क) पहले और आज के समय में अनुशासन का कढ़ाई से पालन करवाया जाता है। बच्चों को ज्ञान देने के स्थान पर जीविका के साधन उपलब्ध करवाने पर अधिक ध्यान दिया जाता है। यही कारण है कि उसे रटाया जाता है।
(ख) पहले बच्चों की प्रतिदिन परीक्षा लेने का प्रावधान था। वह आज भी देखने को मिलता है। क्लास टेस्ट, एफ.ए.-1, एफ.ए.-2, एफ.ए.-3, एफ.ए.-4, एस.ए.-1 और एस.ए.-2 इत्यादि टेस्ट बच्चों को देने पड़ते हैं। इस तरह का दबाव बच्चों को पढ़ाई से दूर करता है और पढ़ाई का डर उनके मन में भर देता है।
(ग) उस समय विद्यालय में पढ़ाई को महत्व दिया जाता था। खेलकूद आदि महत्वपूर्ण नहीं थे।
पहले के समय और आज के समय में पढ़ाई के तरीकों में अंतर इस प्रकार हैं-
(क) पहले बच्चों की प्रतिभा और रुचि पर ध्यान नहीं दिया जाता था। सबको सम्मान रूप से एक ही चीज़ पढ़ाई जाती थी। परन्तु आज ऐसा नहीं है। बच्चों की रुचि तथा योग्यता को देखकर उसे आगे बढ़ाया जाता है। आरंभिक शिक्षा बेशक एक-सी हो लेकिन आगे चलकर बच्चे के पास अपना मनपसंद विषय लेने का अधिकार होता है।
(ख) पहले के समान आज शारीरिक दंड नहीं दिया जाता है। अब बच्चों को प्रेम से समझाया जाता है।
(ग) अब खेलकूद, कला आदि को भी शिक्षा के समान प्राथमिकता दी जाती है।
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Question 3:
पाठ में अनेक अंश बाल सुलभ चंचलताओं, शरारतों को बहुत रोचक ढंग से उजागर करते हैं। आपको कौन सा अंश अच्छा लगा और क्यों? वर्तमान समय में इन बाल सुलभ क्रियाओं में क्या परिवर्तन आए हैं?
Answer:
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Question 4:
नाना के घर किन-किन बातों का निषेध था? शरत् को उन निषिद्ध कार्यों को करना क्यों प्रिय था?
Answer:
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Question 5:
आपको शरत् और उसके पिता मोतीलाल के स्वभाव में क्या समानताएँ नज़र आती हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
Answer:
शरत् के अंदर अपने पिता मोतीलाल के स्वभाव की बहुत समानताएँ विद्यमान थीं। वे इस प्रकार हैं-
• शरत् पिता के समान साहित्य पढ़ने और लिखने का शौकीन था। उसने अपने पिता के पुस्तकालय की सभी पुस्तकें पढ़ ली थीं।
• उनके पिता स्वभाव से स्वतंत्र व्यक्ति थे, शरत् भी ऐसा ही था। उसने कभी बंधकर रहना नहीं सीखा था। अतः नाना के हज़ार बंधन उसे रोक नहीं पाए।
• शरत् तथा उसके पिता सभी लोगों को समान दृष्टि से देखते थे। उनके लिए कोई बड़ा-छोटा नहीं था।
• उसका सौंदर्य बोध पिता के समान ही था। जो उनके लेखन में स्पष्ट रूप से झलकता है।
• वह पिता के समान यायावार प्रकृति के व्यक्ति था। एक स्थान पर टिकना उसके लिए संभव नहीं था।
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Question 6:
शरत् की रचनाओं में उनके जीवन की अनेक घटनाएँ और पात्र सजीव हो उठे हैं। पाठ के आधार पर विवेचना कीजिए।
Answer:
(क) शरत् ने बचपन में बाग से बहुत आम चुराकर खाए थे। यदि कभी पकड़े जाते, तो मिलने वाली सज़ा से भागे नहीं बल्कि किसी वीर के समान उसे भोगा था। उनके पात्र देवदास, श्रीकांत, दर्दांतराम और सव्यसाची शरत के जीवन की झलक देते हैं।
(ख) शरत् स्वभाव से अपरिग्रही था। उसे जो मिलता था, वह दूसरों में बाँट देता था। इस कारण शरतचंद्र की पात्र 'बड़ी बहू' बहुत परेशान थी।
(ग) साँप को वश में करने की कला को उन्होंने अपने पिता के पुस्तकालय में एक पुस्तक से सीखा था। वैसे तो यह बात सत्य नहीं थी परन्तु अपनी रचना 'श्रीकांत' तथा 'विलासी' रचना में इस विद्या के विषय में उन्होंने बताया है।
(घ) उनके पिता घर-जँवाई बनकर रहे थे। अतः 'काशीनाथ' का पात्र काशीनाथ ऐसा ही व्यक्ति था, जो घर-जँवाई बनकर रहता है।
(ङ) उनकी माता द्वारा अपने पति को काम न किए जाने पर ठेस पहुँचाना और पिता मोतीलाल का इस बात पर घर से निकल जाना। इसी घटना का वर्णन उन्होंने 'शुभदा' के हारान बाबू के रूप में किया है।
(च) शरत की मित्र धीरू थी। दोनों में बहुत गहरी मित्रता था। धीरू के चरित्र को उन्होंने 'पारो' (देवदास), 'माधवी' (बड़ी दीदी) तथा 'राजलक्ष्मी' (श्रीकांत) के रूप में चित्रण किया है।
(छ) उनकी रचना में एक विधवा स्त्री का उल्लेख मिलता है। उसके बहनोई तथा देवर की उस पर बुरी दृष्टि है। उसने एक बार बीमार शरत् की सहायता की थी। वह इन दो राक्षसों से स्वयं को बचाना चाहती थी। अतः जब ठीक होकर शरत् घर को जाने लगे, तो वह उनके पीछे चल पड़ी। उसे खोजते हुए दोनों राक्षस आ गए और शरत् को मारकर उसे बलपूर्वक अपने साथ ले गए। 'चरित्रहीन' रचना में इसी घटना का उल्लेख मिलता है।
(ज) 'शुभदा' में उन्होंने अपनी गरीबी का भयानक और मार्मिक चित्रण किया है।
इस आधार पर हम कह सकते हैं कि शरत् की रचनाओं में उनके जीवन की अनेक घटनाएँ और पात्र सजीव हो उठे हैं।
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Question 7:
Answer:
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