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Solution:
(नोटः छात्र इसी तरह स्वयं पतंग का चित्र बनाएँ और उसमें विभिन्न तरह के रंग भरें।)
सर-सर सर-सर उड़ी पतंग
घंटी बोली ............... ................ .......................
उड़ता कपड़ा ............... ................. .......................
..................... ..................... खन-खन-खन
Solution:
सर-सर सर-सर उड़ी पतंग
घंटी बोली टन-टन-टन मुझे से खेलो तुम हरदम
उड़ता कपड़ा फर-फर-फर लहराए हवा में फर
बजती चूड़ी खन-खन-खन
• तुम पतंग के साथ सैर-सापटे पर गईं। वहाँ तुमने क्या क्या देखा?
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• पतंग कटकर कहाँ-कहाँ गिर सकती है?
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Solution:
• एक दिन मैं पतंग के साथ सैर-सापटे पर गई। मैंने देखा कि धरती की हर वस्तु आकाश से बहुत छोटी दिखाई देती है। आसमान से लोग चींटियों के समान लग रहे थे। धरती पर खेत हरी चादर के समान प्रतीत हो रहे थे। बादल तथा पक्षी आकाश में हमारे साथ उड़े रहे थे। मैं पतंग के साथ आकाश में उड़ने का आनंद ले रही थी। हवा बहुत तेज़ थी। चारों ओर दूर-दूर तक आकाश दिखाई दे रहा था।
• पतंग कटकर पेड़ के ऊपर, बिजली के खंभे पर, बिजली की तारों पर, ज़मीन पर, इमारतों की छतों इत्यादि पर गिर सकती है।