Board Paper of Class 10 2005 Hindi Delhi(SET 3) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
हम अपने कार्यों को देश के अनुकूल होने की कसौटी पर कसकर चलने की आदत डालें, यह बहुत उचित है, बहुत सुंदर है, पर हम इसमें तब तक सफल नहीं हो सकते, जब तक कि हम अपने देश की भीतरी दशा को ठीक-ठीक न समझ लें और उसे हमेशा अपने सामने न रखें।हमारे देश को दो बातों की सबसे पहले और सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। एक शक्ति-बोध और दूसरा सौंदर्य-बोध! बस, हम यह समझ लें कि हमारा कोई भी काम ऐसा न हो जो देश में कमज़ोरी की भावना को बल दे या कुरूचि की भावना को।
"ज़रा अपनी बात को और स्पष्ट कर दीजिए।" यह आपकी राय है और मैं इससे बहुत ही खुश हूँ कि आप मुझसे यह स्पष्टता माँग रहे हैं।
क्या आप चलती रेलों में, मुसाफ़िरखानों में, क्लबों में, चौपालों पर और मोटर-बसों में कभी ऐसी चर्चा करते हैं कि हमारे देश में यह नहीं हो रहा है, वह नहीं हो रहा है और यह गड़बड़ है, वह परेशानी है? साथ ही क्या इन स्थानों में या इसी तरह के दूसरे स्थानों में आप कभी अपने देश के साथ दूसरे देशों की तुलना करते हैं और इस तुलना में अपने देश की हीन और दूसरे देशों को श्रेष्ठ सिद्ध करते हैं?
यदि इन प्रश्नों का उत्तर 'हाँ' है, तो आप देश के शक्ति-बोध को भयंकर चोट पहुँचा रहे हैं और आपके हाथों देश के सामूहिक मानसिक बल का ह्रास हो रहा है। सुनी है आपने शल्य की बात! वह महाबली कर्ण का सारथी था। जब भी कर्ण अपने पक्ष की विजय की घोषणा करता, हुंकार भरता, वह अर्जुन की अजेयता का एक हलका-सा उल्लेख कर देता। बार-बार इस उल्लेख ने कर्ण के सघन आत्मविश्वास में संदेह की तरेड़ डाल दी, जो उसकी भावी पराजय की नींव रखने में सफल हो गई।
अच्छा, आप इस तरह की चर्चा कभी नहीं करते, तो मैं आपसे दूसरा प्रश्न पूछता हूँ। क्या आप कभी केला खाकर छिलका रास्ते में फेंकते हैं! अपने घर का कूड़ा बाहर फेंकते हैं? मुँह से गंदे शब्दों में गंदे भाव प्रकट करते हैं? इधर की उधर, उधर की इधर लगाते हैं? अपना घर, दफ़्तर, गली गंदा रखते हैं? होटलों, धर्मशालाओं में या दूसरे ऐसे ही स्थानों में, ज़ीनों में, कोनों में पीक थूकते हैं? उत्सवों, मेलों, रेलों और खेलों में ठेलमठेल करते हैं, निमंत्रित होने पर समय से लेट पहुँचते हैं या वचन देकर भी घर आने वालों को समय पर नहीं मिलते और इसी तरह किसी भी रूप में क्या सुरूचि और सौंदर्य को आपके किसी काम से ठेस लगती है?
यदि आपका उत्तर हाँ है, तो आपके द्वारा देश के सौंदर्य-बोध को भयंकर आघात लग रहा है और आपके द्वारा देश की संस्कृति को गहरी चोट पहुँच रही है।
"क्या कोई ऐसी कसौटी भी बनाई जा सकती है, जिससे देश के नागरिकों को आधार बनाकर देश की उच्चता और हीनता को हम तौल सकें?"
लीजिए चलते-चलते आपके इस प्रश्न का भी उत्तर दे ही दूँ। इस उच्चता और हीनता की कसौटी है, चुनाव!
जिस देश के नागरिक यह समझते हैं कि चुनाव में किसे अपना मत देना चाहिए और किसे नहीं, वह देश उच्च है और जहाँ के नागरिक गलत लोगों के उत्तेजक नारों या व्यक्तियों के गलत प्रभाव में आकर मत देते हैं, वह हीन है।
इसलिए मैं कह रहा हूँ कि मेरा, यानी हरेक नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि जब भी कोई चुनाव हो, ठीक मनुष्य को अपना मत दें, और मेरा अधिकार है कि मेरा मत लिए बिना कोई भी आदमी, वह संसार का सर्वश्रेष्ठ महापुरूष ही क्यों न हो, किसी अधिकार की कुरसी पर न बैठ सके।
(i) अपने कार्यों को देश की कसौटी पर कसकर करने का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए। (2)
(ii) व्यक्ति अपने देश के शक्तिबोध को किस प्रकार चोट पहुँचाता है? (2)
(iii) कर्ण की पराजय में शल्य ने किस प्रकार सहयोग दिया? (2)
(iv) हम अपने देश के सौंदर्य-बोध को किस प्रकार आघात पहुँचाते हैं? (2)
(v) उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए। (2)
(vi) 'अजेयता' तथा 'उत्तेजक' शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए। (2)
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- Question 2
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
मैं अकेला
देखता हूँ आ रही
मेरे दिवस की सांध्य बेला
पके आधे बाल मेरे
हुए निष्प्रभ गाल मेरे
चाल मेरी
मन्द हो जा रही है
हट रहा मेला।
जानता हूँ नदी झरने
जो मुझे थे पार करने
कर चुका हूँ,
हँस रहा यह देख
कोई नहीं मेला।(i) कवि निराशा का अनुभव क्यों करता है? (1)
(ii) कवि के शरीर की स्थिति में क्या परिवर्तन हुआ है? (1)
(iii) 'हट रहा मेला' का आशय स्पष्ट कीजिए। (1)
(iv) कवि कौन-से नदी-झरने पार कर चुका है? (1)
(v) निराशा की स्थिति में भी कवि को हँसी क्यों आती है? (2)
(vi) कवि स्वयं को अकेला क्यों अनुभव करता है? (2)
अथवा
मुझे लड़नी है एक छोटी-सी लड़ाई
एक झूठी लड़ाई में मैं इतना थक गया हूँ
कि कसी बड़ी लड़ाई के काबिल नहीं रहा।
मुझे लड़ना नहीं अब
किसी छोटे कद वाले आदमी के इशारे पर
जो अपना कद लंबा करने के लिए
पूरे देश को युद्ध में झोंक देता है।
मुझे लड़ना नहीं,
किसी प्रतीक के लिए
किसी नाम के लए
किसी बड़े प्रोग्राम के लिए
मुझे लड़नी है एक छोटी-सी लड़ाई
छोटे लोगों के लिए
छोटी बातों के लिए।
मुझे लड़ना है एक मामूली क्लर्क के लिए
जो बिना चार्जशीट के मुअत्तिल हो जाता है
जो पेट में अल्सर का दर्द लिए
जेबों में न्याय की अर्ज़ी की प्रतिलिपियाँ भरकर
नौकरशाही के फ़ौलादी दरवाज़े
अपनी कमज़ोर मुट्ठियों से खटखटाता है।
मुझे लड़ना है,
जनतन्त्र में उग रहे वन तन्त्र के ख़िलाफ
जिसमें एक गैंडानुमा आदमी दनदनाता है।
मुझे लड़ना है।
अपनी ही कविताओं के बिंबों के ख़िलाफ़
जिनके अँधेरे में मुझसे-
ज़िंदगी का उजाला छुट जाता है।(i) किस लड़ाई को कवि झूठी लड़ाई मानता है? (1)
(ii) छोटे कद वाले और लम्बे कद वाले आदमी से कवि का क्या आशय है? (1)
(iii) कवि समाज के किस वर्ग के हित में संघर्ष करना चाहता है और क्यों? (2)
(iv) प्रस्तुत कविता में सामान्य व्यक्ति की शोषण-व्यथा का वर्णन किस प्रकार किया गया है? (1)
(v) अपनी दृष्टि में कवि जिसे छोटी लड़ाई कहता है, क्या वह सचमुच छोटी लड़ाई है? यदि नहीं तो क्यों? (2)
(vi) कवि किसके विरूद्ध और क्यों लड़ना चाहता है? (1)
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- Question 11
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)
(i) परशुराम ने सभा के मध्य अपने विषय में क्या कहा?
(ii) कवि देव ने अपनी कविता में चाँदनी रात की सुंदरता को किन-किन रुपों में देखा है?
(iii) मृगतृष्णा किसे कहते हैं? 'छाया मत छूना' कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
(iv) संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
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