साथी हाथ बढ़ाना
साथी हाथ बढ़ाना
काव्यांश 1
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।
प्रसंग 1
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तिका वसंत भाग-1 में संकलित 'सा…
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